न्याय
न्याय
अब इंतज़ार नहीं होता,
चले आओ,
अब ये खुमार नहीं सोता
चले आओ!
कितने साल बीत गए,
कितनी दुआएं कर चुके,
अब तारीखों से प्यार नहीं होता,
चले आओ,
अब इंतज़ार नहीं होता चले आओ!
वो आत्मा पर मेरे वार ,
इस जिस्म की चीख पुकार,
और ये निशब्द सा राजा का द्वार
अब ये दरबार बर्दाश नहीं होता
चले आओ,
अब इंतज़ार नहीं होता चले आओ !
सालों बहे आँख से आँसू ,
रक्त को गया रक्त का पिसाचू ,
कितनी घनघोर घटा कितना मैं कोसूं ,
अब नहीं मन में की तू ले अवतार,
अब बस दिल ये ही कहता है बार बार
चले जाओ ! चले जाओ !
अब नहीं होता न्याय का इंतज़ार,
चले जाओ , चले जाओ !
अब इंतज़ार नहीं होता चले आओ !
अब ये खुमार नहीं सोता
चले आओ !