Neha Yadav
Inspirational
रगों में साहस भर
मन का विश्वास उभरता है।
मंजिल को हासिल कर
राहगीर भी निखरता है।
यादों की बारि...
देशहित में
घर छोड़ जाने क...
मकाम हैं हम
मैं तुम का भे...
सच्चाई
वो पहली मुलाक...
विश्वास
संवेदनशील नार...
बहारें
वो जो हँसते थे कल संग .... क्या आज चले जायेंगे। वो जो हँसते थे कल संग .... क्या आज चले जायेंगे।
अपने हित को जो बस समझे, धिक्कार के ही पात्र है। अपने हित को जो बस समझे, धिक्कार के ही पात्र है।
माँ के जतन से ही सृष्टि पली है । माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है माँ के जतन से ही सृष्टि पली है । माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है
फौजी बनकर रक्षा करने आयेंगे हम, तिरंगे की शान बन कर दिखलायेंगे हम। फौजी बनकर रक्षा करने आयेंगे हम, तिरंगे की शान बन कर दिखलायेंगे हम।
दिल तोड़कर बहुरूपिया छुप गए हैं बिल में दिल तोड़कर बहुरूपिया छुप गए हैं बिल में
जप तप ध्यान और साधना से बढ़ाओ मन की शक्ति जप तप ध्यान और साधना से बढ़ाओ मन की शक्ति
इंसानों के दिलों में एक पवित्र प्यार, मृत्यु ही विदा कर सकती है। इंसानों के दिलों में एक पवित्र प्यार, मृत्यु ही विदा कर सकती है।
रहे सावधान तो फिर करोना ही हारेगा बरती अगर लापरवाही तो जान से ही जाएगा रहे सावधान तो फिर करोना ही हारेगा बरती अगर लापरवाही तो जान से ही जाएगा
लाकडाउन जैसे ही खुला वैसे ही, लोग लापरवाह हो गए। लाकडाउन जैसे ही खुला वैसे ही, लोग लापरवाह हो गए।
अंग्रेजों के राज में जो लाया आंधी, वह है मेरा सबका प्यारा गाँधी। अंग्रेजों के राज में जो लाया आंधी, वह है मेरा सबका प्यारा गाँधी।
कितने नादानों ने मुँह अपना सिया होगा। कितने नादानों ने मुँह अपना सिया होगा।
दो प्यार भरे शब्द जबान से निकले बस दूसरे का मन हर ले। दो प्यार भरे शब्द जबान से निकले बस दूसरे का मन हर ले।
आ बैठ ज़रा.. पल-पल का मेरा हिसाब कर आ बैठ ज़रा.. पल-पल का मेरा हिसाब कर
हाथ थामने वालों के भी हौसले बुझते देखा है.. हाथ थामने वालों के भी हौसले बुझते देखा है..
यह जिंदगी है एक जुआ कभी जीत भी कभी हार भी! यह जिंदगी है एक जुआ कभी जीत भी कभी हार भी!
उस घर में खुशियां छाए, जिस घर में तुम्हारी पूजा हो। उस घर में खुशियां छाए, जिस घर में तुम्हारी पूजा हो।
महान वो इंसान होते हैँ जो दिल से सच्चे होते हैँ! महान वो इंसान होते हैँ जो दिल से सच्चे होते हैँ!
तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी,
खुद ही पनप गया बिना किसी अपनेपन के यही वजह काफी थी लोगों के थोथेपन की खुद ही पनप गया बिना किसी अपनेपन के यही वजह काफी थी लोगों के थोथेपन की
वीतरागी बनकर काल दे रहा सबको निमंत्रण महामारी का रूप धरकर। वीतरागी बनकर काल दे रहा सबको निमंत्रण महामारी का रूप धरकर।