मौसम
मौसम
कैसी अजीब - सी है ये दिल की दुनिया,
कितने मौसम करवट बदलते है यहाँ ?
जब कोई नहीं था, थे हम अकेले,
तो रहता था तनहाइयों का मौसम,
आये जब आप बनके हमारे हमदर्द
साथ अपने लेकर आये प्यार का मौसम,
कितने वादे लिये, कितने वादे दिये,
छा रहा था, एक - दूजे से मिलने का मौसम,
बेपरवाह थे जब दुनिया की नज़रों से हम
शायद वो था साथ जीने - मरने का मौसम,
लेकिन बदल गया अचानक ही सबकुछ
जब आप चले गये छोड़ के विरह का मौसम,
कितने बेसहारा हो गये हैं हम, और
नैनों से बह रहा है सिर्फ सावन का मौसम,
क्या सावन ! क्या भादो ! ना मैं जानूं,
दिल में रहता है आपकी यादों का मौसम,
तब से आज तक हमारा है एक ही मौसम,
चाहे कुछ भी हो, खत्म न हो इंतज़ार का मौसम...।