आँसू
आँसू
दुख की घड़ी
कब साथ
छोड़ेगी
मेरा,
कब
रुकेगें
इन
आँखों से आँसू,
अब तो
बर्दाश्त भी नहीं
होता,
आखिर
कब तक
दर्द की घड़ी
में
बहेंगे आँसू,
समुद्र से भी
गहरा था
अपना प्यार,
पल भर में
वे पत्थर
हो गये,
एक पल के
लिए भी
नहीं
सोचा,
कि मेरा
क्या होगा,
बातें तो
चाँद-तारे
तोड़
लाने की
करते थे,
क्षण भर में
वे सनम
हरजाई
हो गये,
दे गये
इन आँखों को
आँसू,
उनका मेरी बाँहों
में लिपटना,
मेरे
जिस्म को
हाथों से
छूना,
मेरे होठों से
अपने
होठों को
भिगोना,
कुछ भी
भुला नहीं
जाता
मुझसे,
मेरे आँसुओं के
हर एक
कतरे में
सिर्फ उनका ही
नाम बसा है,
मैं खुद से
खुद को तो
समझा
लेती हूँ,
मगर खुद में से
उन्हें कैसे समझाऊँ,
ये आँसू
अब मुझसे
ढोये
नहीं जाते,
अब और हमसे
रोये नहीं
जाते,
ऐ आँसू
तेरी गुजारिश
मुझसे,
तू दामन मेरा
छोड़ दे,
अब और
सहे नहीं जाते
मुझसे
ये
आँसू !