एक फैसला
एक फैसला
एक फैसला
_प्रेरणा कुमारी
पूरे साल धमाचौकड़ी मचाई
पर जब इम्तिहान करीब आया
तब उसे पढ़ाई याद आई
इम्तिहान में फ़ैल हो जाऐगा
दोस्तों के सामने
उसका मज़ाक बन जाऐगा
पापा की डाँट का भय
उसे अक्सर सताता था
डर और चिंता से वो
खोया खोया सा रहता था
आखिरकार उसने एक फैसला लिया
अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का
उसने एक निर्णय किया
उसी रात उसने कुछ ऐसा कर डाला
फंदे को ही अपना साथी बना डाला
उस लड़के ने
एक पल के लिऐ भी यह नहीं सोचा
की जिन्होंने उसकी ख़ुशियों की खातिर
अपने सपनों को भुला दिया
जिन्होंने अपनी ज़रूरतों को भुलाकर
उसकी हर ज़िद को पूरा किया
उन ईश्वर जैसे माँ बाप को
जीवन का सबसे बड़ा
दुःख देने जा रहा है
वो बहन
जो भैया भैया कहते नहीं थकती थी
राखी के दिन
सज धज कर जो चहकती थी
उस बहन की ख़ुशी
के बारे में भी नहीं सोचा उसने
बस एक फैसला लिया
अपनी जीवन लीला को समाप्त करने का
उसने एक निर्णय किया
और फिर
न कुछ सोचा ,न कुछ कहा
उसी रात उसने कुछ ऐसा कर लिया
फंदे को ही अपना साथी बना लिया