Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anshu Shri Saxena

Abstract

3  

Anshu Shri Saxena

Abstract

मेरे पापा

मेरे पापा

1 min
300


एक बरगद का बूढ़ा दरख्त 

अक्सर आपकी याद दिलाता है

आपका शून्य में विलीन होना

मुझे कितना कमज़ोर बना जाता है

आप ही तो भरते थे मुझमें 

ताक़त और हौसला....


आप ही थे मेरा संबल 

आपसे ही सहारा था हर पल 

जब भी पलटती हूँ यादों की 

वो पीली पड़ चुकी किताब

उसमें से झाँकते हैं आप।


कभी मेरी उँगली थाम

मुझे चलना सिखाते हुए

कभी ग़लतियाँ करने पर

माँ की डाँट से मुझको बचाते हुए

अक्सर मेरा मनचाहा ख़्वाब 

मेरे बिन बताए पूरा करते हुए।


माँ के जाने के बाद, माँ

और पिता दोनों की भूमिका

बख़ूबी निभाते हुए

आप की कमी तो है वो रहेगी

पर अक्सर आपका शायद

कहीं ज़िन्दा है मुझमें।


आपके संस्कारों पगी वो शिक्षा 

है मुझमें रची बसी कहीं 

जिसके बीज रोपे थे 

आपने मुझमें कभी।


फादर्स डे तो आयेगा और

आकर चला जायेगा

पर आप बिन मेरा आँगन 

सूना है और सूना रह जायेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract