वही शिकवा -- शिकायत; वही गि़ला होगा ।
वही शिकवा -- शिकायत; वही गि़ला होगा ।
वही शिकवा -- शिकायत; वही गि़ला होगा
वही शिकवा -- शिकायत;
वही गि़ला होगा ।
जुदा इससे नहीं उसने;
कुछ लिखा होगा।।
बडे जतन से सहेजे हैं ;
हमने ख़्वाब वो सूखे ।
इक तेरा ख़्वाब भी ;
उनमें कहीं धरा होगा।।
वो मिला जब भी मुझे;
कुछ बुझा-बुझा सा मिला।
चराग याद का ;
उसने बुझा लिया होगा।।
ये आईने ! हरदम तो ;
मुँह चिढा़ते नहीं ।
बेवजह उसने कोई ;
आईना तोड़ा होगा।।
इक लहर याद की ;
अक्सर मुझे भिगोती है।
उसे भी तुमने ही;
मेरा पता दिया होगा।।
मैं ; बेहया हूँ ,बे-शऊर
-- बेशरम ही सही ।
इसी बहाने मेरा ;
नाम तो लिया होगा।।
लो ; पत्थरों की बस्ती में ;
सन्नाटा खिंच गया ।
अक्स तेरा "अनुपम";
फिर ; उसे दिखा होगा।।
********-----**********