Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Kaushik Kishore

Others

3  

Kaushik Kishore

Others

Masoom Si Mohabbat Ka, Bas Itna Sa Bahana Tha...

Masoom Si Mohabbat Ka, Bas Itna Sa Bahana Tha...

1 min
7.4K


मासुम सी मोहब्बत का,

बस इतना सा बहाना था..  

वो फूलों सी है नाजुक,

जिसे रेशम से सजाना था..

कहीं डर ना लगे उसको,

लहरों की रवानी से..

उस मोम की गुड़िया को,

 किश्ती में बिठाना था..

यूँ जिंदगानी नहीं कटती,

तन्हां कभी किसी की..

एक अकेले तनहा दिल को,

एक दिल से मिलाना था..

मुहूरत-ए-मिलन में,

कुछ देरी आ गयी है..

परवाने को वरना आज ही,

 शम्मा पे मिटाना था..

पर है नहीं मायूसी,

ना यहां, न वहां है गम..

तारे चमक उठेंगे ,

बादल भी होंगे कुछ कम..

परवाने के  मिटने का,

फिर आएगा वो मौसम..

आँखों में देख चाहत,

कोई दिल धड़क उठेगा..

होगा शमां रूमानी,

और मेघ भी बरसेगा..

मोहब्बत में दिल को डुबो देगा,

बरसात को वो मौसम..

जुल्फों में सर छुपाये,

होंगे ख्वाबों में खोये हम..

फिर गम न मुझको होगा,

वर्षा कहां हुई है...

जहां से खुल में कहूँगा,

मोहब्बत मोहब्बत मुझे हुई है..

डूबा सनम की आँखों में,

गाऊंगा, मेरा जो तराना था..

मासुम सी मोहब्बत का,

बस इतना सा बहाना था..

वो फूलों सी है नाजुक,

जिसे रेशम से सजाना था...

-कौशिक


Rate this content
Log in

More hindi poem from Kaushik Kishore