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Sadhana Mishra samishra

Tragedy

3  

Sadhana Mishra samishra

Tragedy

वैदेही, अब तुम न आना इस देश

वैदेही, अब तुम न आना इस देश

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वैदेही, अब तुम न आना इस देश

यह तो भया विदेश

वैदेही, अब तुम न आना इस देश


नैतिकता का नाम नहीं है

त्याग का सम्मान नहीं है

लिप्सा की अभिलाषा में

लगा यह जीवन अशेष

वैदेही, अब तुम न आना इस देश


बटमार सा मन हुआ है

सर्वस्व लेने पर अड़ा है

बचा कहाँ है कोई आंचल

देने को कुछ नहीं है शेष

वैदेही, अब तुम न आना इस देश


अब कोई आराध्य नहीं है

सेवा का अब भाव नहीं है

प्रेम से सूना मन का कोना

कर्तव्यों से नहीं है कोई नेह

वैदेही, अब तुम न आना इस देश


राम से अब रहा न नाता

ताप त्याग का सहा न जाता

सिया जगत मूढ़ विख्याता

शूर्पनखा ने ओढ़ा नारी वेश

वैदेही, अब तुम न आना इस देश


वैदेही, अब तुम न आना इस देश

यह तो भया विदेश

वैदेही, अब तुम न आना इस देश।


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