ये बता सुंदरता क्या है
ये बता सुंदरता क्या है
ये बता सुंदरता क्या है
तू भला उसे कैसे तोलता है
मेरे शरीर को आँखों से नाप
कर ही तू मुझे सुंदर बोलता है।
मेरे पतले पतले होंठ मेरे नितंब
मेरे वक्ष मेरी देह को ही तो तू
सदैव आँखों से टटोलता है
बहकर वासना में तू मुझे
सुंदर बोलता है...।
क्या भला तूने कभी मेरे अंदर झांका है
मन की सुंदरता को मेरी तूने आँका है
प्यार प्यार बोल कर मुझसे खेलता है
रोज इस बहाने वासना की
आग में धकेलता है।
एक सर्प की भांति
देह पर मेरी तू रेंगता है
प्रेम समर्पण को तू अपनी
जागीर के रुप मे देखता है
क्यों भला तू शरीर से सुंदरता तोलता है
अपनी माँ को किस पैमाने मे रख
तू सुंदर बोलता है।
वो भी इक नारी है
मैं भी इक नारी हूँ
वो जीवनदायनी तो मैं
जीवन संगिनी तुम्हारी हूँ
क्यों भला स्त्री के मनोभाव से
तू हमेशा खेलता है
पौरुष होने का रौब क्यों
भला हम पर पेलता है।
कभी मन को तो टटोल
मोह के धागों को जोड़
मेरी आंतरिक सुंदरता को देख
अपने नेत्र के पट खोल
कब तक तू भला शारीरिक
सुख भोग पाएगा
बाद में मन की कहने सुनने वाला
कहाँ से लाएगा।
मुझसे प्रेम की बांध ले डोर
इसका नहीं कोई अंतिम छोर
अपनी रूह को मेरी रूह से तू जोड़।