एक अरसा
एक अरसा
चलूं खुद से मिल आऊँ,
खुद से मिले एक अरसा हो गया है,
आंखों की नमीं नहीं जाती,
गमों में कमी नहीं आती,
इन्हें खुशियाँ देखे एक अरसा हो गया है
खुद से मिले...
दिमाग में मची एक कलकल है,
सीने में यादों का गहरा दलदल है,
दलदल को खड़े एक अरसा हो गया है
खुद से मिले...
साँझ की सुहानी बेला है,
फिर भी मन कितना अकेला है,
सुबह का मेला देखे एक अरसा हो गया है
खुद से मिले...
ख्वाहिशों पर बिछी पड़ी धूल है,
सपनों पर चुभे हुए कई शूल हैं,
जख्मों को हरे हुए एक अरसा हो गया है
खुद से मिले...
चलूं खुद से मिल आऊँ,
खुद से मिले एक अरसा हो गया है।