दुनिया
दुनिया
कच्चे धागों से बुनी दुनिया
सिलवटों में उलझी दुनिया।
हर तरफ से रिसती दुनिया
हम सब की है ये दुनिया।
हर हसरत,
हर आरजू से लदी ये दुनिया।
अविश्वास की बुनियाद पर
डोलती है दुनिया।
हर रिश्ते से छूटती दुनिया
दिवारों पर टंगी है दुनिया।
काश न होती ऐसी दुनिया।