नींद न आने की स्थिति में लिखी कविताएं
नींद न आने की स्थिति में लिखी कविताएं
एक
मुझे नींद नहीं आ रही है
आ रहे हैं विचार
ऊलजलूल
कितना मिलता है यह शब्द
उल्लुओं के नाम से
क्या उल्लू दिन को सोता है
उसे नौकरी नहीं करनी पड़ती होगी
मेरी तरह शायद
उल्लू तो ख़ैर
उल्लू ही होता है
उल्लू का नौकरी से क्या
लेकिन क्या उल्लू प्रेम भी करता है
क्या पता
शायद नहीं
उल्लू तो आखिर
उल्लू ही होता है ना
लेकिन फिर क्यों
वह जागता है रात भर
मैं भी कितना उल्लू हूँ
उल्लू और आदमी के बीच
खोज रहा हूँ
एक मूलभूत अंतर।
दो
नींद को कहीं
नज़र न लग गई हो
चचा ग़ालिब की
उन्हें मौत का ख़ौफ था
हमें ज़िन्दगी का है
आश्चर्य!
पीने के बावज़ूद
उन्हें नींद नहीं आती थी
आसमान की ओर देखते हुए
कोशिश में हूँ
बूझने की
चचा ग़ालिब ने यह शेर
शादी से पहले लिखा था
या बाद में।
तीन
नींद न आने की स्थिति में
तारे गिनने का उपदेश देने वाले
खुद कभी तारे नहीं गिनते
उनके और तारों के बीच
हमेशा एक छत होती है
हमारी मेहनत से बनाई हुई ।