ज़िन्दा क्यूँ है?
ज़िन्दा क्यूँ है?
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इसके रिहाई के ज़रिए इतने चुनिंदा क्यूँ है?
मेरे जिस्म की क़ैद में दिल का परिंदा क्यूँ है?
रफ्ता से उड़ रही है तेरे चेहरे की रौनक,
क्या हुआ ये आँखें तेरी ताबिंदा क्यूँ हैं?
बेबसी पर इतना भी क्या अफ़सोस जताना?
ऐ दिल तू ख़ुद से इतना शर्मिंदा क्यूँ है?
जितने दिल हैं बस अपने मतलब की सोचें,
ऐसे में नेकी का तू नुमाईंदा क्यूँ है?
हर तरफ़ देख जश्न का माहौल सजा है..
ग़म ऐ विरानी का तू फकत बाशिन्दा क्यूँ है?
हर शख़्स के हाथ तेरे ख़ून में सने हैं,
ऐ दिल अभी तक तू ज़िन्दा क्यूँ है?