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Ajay Amitabh Suman

Drama

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Ajay Amitabh Suman

Drama

व्यापार

व्यापार

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दिल की जो बातें थी सुनता था पहले,

सच ही में सच था जो करता था पहले।

करने अब सच से खिलवाड़ आ गया,

लगता है उसको व्यापार आ गया।


कमाई की खातिर दबाता है सब को,

गिरा कर औरों को उठता है खुद को।

कि जेहन में जब से अंगार आ गया,

लगता है उसको व्यापार आ गया।


मुनाफा की बातें ही बातें जरूरी,

दिन में जरूरी, रातों को जरूरी।

देख वादों में उसके करार आ गया,

लगता है उसको व्यापार आ गया।


पैसे की चिंता ही उसको भगाती,

दिन में बेचैनी, रातों को जगाती।

कि रिश्तों में उसके दरार आ गया,

लगता है उसको व्यापार आ गया।


मूल्यों सिद्धांतों की बातें हैं करता,

पर मूल्यों सिद्धांतों की बातों से डरता,

कथनी करनी में तकरार आ गया

लगता है उसको व्यापार आ गया।


नहीं कोई ऐसा जिसे छला न जग में,

शामिल दिखावा हर डग, पग, हर रग में।

कि करने अपनों पे प्रहार आ गया,

लगता है उसको व्यापार आ गया।


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