घटा
घटा
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आज घिर आई घटा काली-काली
बूंदें बरसने लगी
बारिश थी मतवाली।
मन झूम उठा
पँव नाच उठे
मोहब्बत की चाह
थिरकने लगी।
बिजली सखी
साथ जो मेरे थी
कहने लगी
धड़कते सीने से,
ये री,
तू तो है
पिया की प्यारी।
हाय,
शरमा उठी ये नजर
आईने में जो देखी
पिया की शरारती नजर।
ओढ़ लिया दुपट्टा
तेरे इश्क का
दुल्हन बनी
साँवरी पिया तेरी
जोड़ा रिश्ता जन्मों का।