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Dr Ranjana Verma

Others

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Dr Ranjana Verma

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गीतिका

गीतिका

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जिन के' इंसानियत के' नाते हैं ।
बस  वफ़ा  भी  वही  निभाते हैं ।। 1

सत्य की भूमि कर्म के हल से
भूमि समतल  चलो  बनाते हैं ।। 2

बह रही प्यार की  हवाओं में
मन - पतंगें    ज़रा  उड़ाते  हैं ।। 3

जिन को' पूछा नहीं  जमाने ने
बढ़  के' उनको  गले  लगाते हैं ।।4

शिष्य एकलव्य सा नहीं मिलता
द्रोण  भी  अब नज़र  न  आते हैं ।।5

जो  न  हमदर्दियों  के  हैं  हामी
व्यर्थ  आँसू   बहुत  बहाते  हैं ।।6

दूर तक सिलसिले जफ़ाओं के
लोग   बातें   बहुत   बनाते  हैं ।।7
------------------- डॉ. रंजना वर्मा


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