ख्वाब और दोस्त !!
ख्वाब और दोस्त !!
आये थे हम एक नए शहर में
लेकर कुछ सपने,
सब लोग नए थे,
बहुत दूर थे हमसे अपने,
ज़िन्दगी के एक नए
पड़ाव की शुरुआत थी,
इस नए शहर में कुछ
अजीब सी बात थी,
अकेले में रह कर दोस्तों की
कमी महसूस होती थी,
थकान से भरा दिन और
गुमसुम सी रात होती थी,
वक़्त बदलने लगा था,
दोस्त बनने लगे थे,
ऑफिस के बाद भ
सब मिलने लगे थे,
वो रिच बेकरी पे भक भक,
वह टी पॉइंट की चाय,
वोह ऑफिस की मुसीबतें,
वो दोस्तों की राये,
हर रात मिलने का एक
सिलसिला सा चल गया था,
एक दूसरे को जानने का
मौका मिलने लगा था,
वक़्त के साथ दोस्ती गहरी होने लगी,
कुछ जगह प्यार की शुरुआत होने लगी,
हर तस्वीर को दिल में क़ैद कर रहा था,
हर क़िस्से को यादों के गड्डे में भर रहा था,
पता ही नहीं चला कब इतना वक़्त गुज़र गया,
प्यार गहरे होते रहे,
मैं सिंगल ही रह गया !
चाहे छोड़ जाए यह शहर,
पूरे करने अपने सपने,
हम सब रहेंगे बनके
एक दूसरे के अपने,
खूब तंग किया है सबको,
मुझको माफ़ करना,
बस यारो दुआओं में याद रखना !