ना-पाक पड़ोसी
ना-पाक पड़ोसी
इस मुल्क पड़ोसी को हमने
सब कुछ तो करते देखा है,
प्रेम के रंग में भंग मिलाते
हम सबने इसको देखा है,
राग भरी महफ़िल में इसको
शंख बजाते देखा है,
आधी भरी गगरी की तरह
पूरा छलकते देखा है,
सरहद पे खड़े मानवता का
गला काटते देखा है,
हश्र बुरा होगा इसका
सबको कहते-सुनते देखा है,
बड़ी इमारत को हमने तो
तत्क्षण ही गिरते देखा है,
गुबरैले की आँखों में
गन्ध को सनते देखा है,
इस मुल्क पड़ोसी को हमने
सब कुछ तो करते देखा है,
श्वान की जिव्हा सा लालच
इसकी आँखों में देखा है,
कर्म बुरा है- सोच बुरी है
अंजाम से डरते देखा है
हर प्रयास को इसके, मैंने
असफल तो होते देखा है
अपने ही घर में इसके
तूफ़ान मचलते देखा है,
इस मुल्क पड़ोसी को हमने
सब कुछ तो करते देखा है...