Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ragini Rawat

Abstract

3.0  

Ragini Rawat

Abstract

अपना अस्तित्व ,अपना गुण

अपना अस्तित्व ,अपना गुण

1 min
12K


यूँही बैठी, उपवन में ।

 सोच रही, मन ही मन में ।।               

खुशबू फूलों में, कहाँ से आयी।    

मन्द- मन्द क्यों, चलती पुरवाई।

बरखा से माटी, क्यों महके । 

  कमल सरोवर में ही, क्यों दहके ।

श्वेत दूध का, रंग है क्यों ।

   रक्त का रंग, लाल है क्यों ।।

नीर, रंग विहीन है, क्यों ।

   तितली रंग बिरंगी, है क्यों ।

नदी का स्वर, कलकल क्यों ।

    झरने का स्वर, छमछम क्यों 

स्वर कौए का, कर्कश क्यों ।

   कोयल का स्वर, मीठा क्यों ।।

इन सब का कुछ, मतलब होगा

   अर्थ विहीन न कोई, तर्क होगा

     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract