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Sadhana Mishra samishra

Inspirational

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Sadhana Mishra samishra

Inspirational

आखिर कसूर क्या था उनका

आखिर कसूर क्या था उनका

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ये रात की स्याह कालिमा भी,

डराती है.... कंपकपाती है...

जब तस्व्वुर में उड़ते हैं इंसानों के चीथड़े !

और धरा पर बहने लगती है रक्तिम नदियाँ...

पूछते हैं अनगिनत आंखों के आँसू,

आखिर कसूर था क्या उनका...?

जा रहा थे जो कमाने रोटियाँ...

बच्चों की एक मुस्कान....

पत्नी ने मांगी थी हरी, धानी चूड़ियाँ,

लेना था उन्हें मां बाप की दवाइयाँ ...

आखिर कसूर था क्या उनका...?

किस जुनून ने भर दिया....

बच्चे के आंखों में सूनापन...

घर की दरों...दीवार में खालीपन...

सूने आंगन की चित्कार,

पत्नी की सूनी कलाइयों में....

बसा रहेगा... उनके यादों का अधूरापन....

बोझ से दब गया बाप का कांधा,

माँ का खाली रह गया आंचल....

एक मुठ्ठी राख में समाए सारे सपने....

कल गंगा में बह जाऐंगे....

मुआवजों में मिले चंद तगमे और

कागज़ के टुकड़े...

क्या कभी वो सब...

उनके अरमानों का मोल चुकायेंगे...

शायद नहीं....या... शायद हाँ....

क्योंकि खून के कतरे उनके...

अब रोटियों का गारा बन जायेंगे....

कैसे हलक में समायेंगे...

आखिर कसूर क्या था उनका......!!


छिन गया है दिन का सकून भी...

और....

रातों में अब नींद आती नहीं....




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