जिनको मैंने कुछ कहा ही नहीं
जिनको मैंने कुछ कहा ही नहीं
जिनको मैंने कभी कुछ कहा ही नहीं,
जान के मेरे दुश्मन वो क्यों बन गए।
उनकी औकात सच सब मुझे है पता,
बेहया बेशर्म सब वो क्यों बन गए।
सरफिरा मैं नहीं सच मेरा जान लो,
अपनी औकात ज़ाहिर वो क्यों कर गए।
वक्त बदलेगा मेरा कभी ना कभी,
हैसियत अपनी कदमों पे क्यों धर गए।
इश्क की अब जरूरत मुझे कुछ नहीं,
बेवजह वो ग़िला आज क्यों कर गए।
मैं भी इंसान हूँ पर ना जैसे तेरे,
मेरी नज़रों से वो आज क्यों गिर गए।
झुठ बोला कोई सच क्यों उनको लगा,
मुझ पे इल्ज़ाम आयद वो क्यों कर गए।
दिल में कितनी थी इज्जत भी उनके लिए,
ख़ाक इज्ज़त भी अपनी वो क्यों कर गए।