शिकारा
शिकारा
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मन की बातों को कलम के सहारे से इशारा देता हूँ,
मैं अंजाना होकर भी कुछ लहरों को किनारा देता हूँI
जब जुबां और दिल सब हार कर अकेले में बैठते हैं,
तब मैं दर्द से भरी चुनिंदा तस्वीरों का सहारा लेता हूँI
डूबने के हजारों रास्ते समझदारी से सुझाते हैं लोग,
मैं पागलपन में भी लोगों के हाथों में शिकारा देता हूँ।