तन्हाई
तन्हाई
चला था एक ख्वाब लेकर के
मंज़िल खुशियों की होगी,
आंख खुली महसूस किया
ये तमन्ना कभी पूरी होगी,
जीते थे जिसके लिए अब उसके बिना
मर भी नहीं पाएंगे,
पहले तो सपनों में छुप जाया करते थे,
अब हकीक़त में कहाँ मुँह छुपायेंगे।
किस्मत में लिखा क्या है मेरी,
मुझे तो मज़ाक सा लगता है,
जब भी दिखती है लबों पर मुस्कराहट मेरे,
मुझे ये ख्वाब सा लगता है।
उदास रातों में तन्हाइयाँ भी साथ छोड़ जाती है,
सोचता हूँ मिलूंगा उससे सपनों में,
ये आँखें साथ छोड़ जाती हैं।
जाग कर चाँद को देखना अच्छा लगता था कभी,
अब उस पर दाग नज़र आता है,
शायद उसकी गलती नहीं वहां
मेरे गम का साया नज़र आता है।
तस्वीर में ज़िंदा है वो,
और मैं ज़िंदा एक तस्वीर बन गया,
शायद तन्हाइयों में रहना मेरी तक़दीर बन गया,
शायद तन्हाइयों में रहना मेरी तक़दीर बन गया।