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Aditya Agnihotri

Children Drama Tragedy

0.5  

Aditya Agnihotri

Children Drama Tragedy

पापा उसे डाँट दिया करते थे

पापा उसे डाँट दिया करते थे

2 mins
465


वो जो ख़ाकी हाफ़ पेंट पहन कर

नफ़रत का तेल पिलाया हुआ

डंडा घुमा रहा है

पापा उसे डाँट दिया करते थे।


दादाजी उसे बचपन में

दीवान-ए-ग़ालिब के

शेर सुनाया करते थे

वो भाग जाया करता था,


कहता था पापा से कि

कहीं बाहर घुमाने ले चलो ना

पापा उसे डाँट दिया करते थे।


संस्कृत, गणित ऑर अंग्रेज़ी में

फ़ेल हो गया था वो,

भूगोल ओर इतिहास में पास तो था

पर कुछ का कुछ लिख कर आ गया था,


नागरिकता के अध्याय

कुछ कम थे सिलेबस में,

इसलिए ध्यान दिया नहीं उसने

पापा उसे डाँट दिया करते थे।


जब पाँचवी कक्षा में ही पहुँचा था,

फ़ुल पेंट पहनने की ज़िद करता था,

कहता था मैं बड़ा हो गया हूँ,

हाफ़ पेंट में लड़कियाँ मज़ाक़ उड़ाती है।


मज़ाक़ अब उसका ज़्यादा उड़ रहा है,

उसने कान-आँख अब

बंद कर लिए हैं अपने क्योंकि

पापा उसे डाँट दिया करते थे।


यूसुफ़ खान- मुहम्मद रफ़ी का

भजन गुनगुनाया करता था वो

“सुख के सब साथी,

दुःख में ना कोई,

मेरे राम, मेरे राम”,


अकेला बैठा है आज,

आँख में एक आँसू भी है

लेकिन दिखाता नहीं है किसी को

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।


राम-राम करते वक़्त ग़लती से

पूरी ताक़त से डंडा चला आया था ख़ुद पर,

चोट आई है उसको,

आँख भी लाल है,


लेकिन आज उसकी पार्टी की

चुनाव रैली कहीं और चल रही है शायद

कोई सुध लेता नहीं उसकी अब

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।


उसे दूध पसंद नहीं था,

उलटी आती थी देख कर

बचपन में एक बार बछिया का

दूध निकालने निकला था,


आता नहीं था ठीक से,

तो बछिया ने दुलत्ती मार दी उसको

रहमान चाचा उसे दूध दुहना सिखाते रहे,

पर सीखा नहीं उसने.

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।


आज वो बछिया गाय बन कर

बिक गयी चुनाव में,

उसका रक्षक भी

इसको बनाया गया है,


पर डरता आज भी

है हर एक दुलत्ती से

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।


बचपन में उसे पाइलट बनना था,

फिर सचिन बनने शौक़ छाया था

दो बार उसने वैज्ञानिक

बनने की भी ठानी थी,


कितने सवाल करता था,

फ़िक्र होती है उसकी,

सवाल नहीं कोंधते हैं

अब उस के ज़हन में,

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।


बुआ मंदिर से आती थी,

तिलक लगाती थी और

प्रसाद दे कर

आगे बढ़ जाती थी।


ये आज जो तिलकधारी है

तब झट से मम्मी के पल्लू से

तिलक पोंछ लिया करता था

फिर पापा उसे डाँट दिया करते थे।


रूठा है वो ख़ुद से,

अपने ही बनाए चक्रव्यूह में

धँसता जा रहा है.

फ़िक्र भी नहीं कर देता अब,


साँस फुलाए रहता है हर वक़्त

ख़ुद को मार लिया है उसने

क्योंकि पापा उसे डाँट दिया करते थे।।


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