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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

तलब

तलब

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400


तुम्हारी तलब मेरी कशिश बन जाती है

ये जो तुम मेरी प्रोफाइल पे अपनी नज़रों

से मीठी परत लगा जाते हो..! 


ब्लाक के उस बंद किवाड के अंदर दफ़न

रहने दो मेरी यादों को कोशिश मत करो

जगाने की..! 


तुम्हारे अंगूठे की आहट से बार-बार मेरे

दिल में छिपे अहसास जाग उठते है 

हो चली थी जब दूर तुम्हारे तसव्वुर से भी

तुम्हारी ज़िंदगी की परिधि से बहुत दूर...! 


फिर क्यूँ मेरी झलक पाने अपनी खुशबू

बिखेर जाते हो मेरी प्रोफाइल पर

जैसे चढ़ा कर जाता है कोई कब्र पे फूल..! 

 

तुम्हारे आते ही मेरे दिल के एकतारे में हज़ारों

घंटीयों के नाद बजते है

गहरी नींद में सोए हुए अहसास में संचार होने

लगता है मन करता है दर्द की मिट्टी में दबे सारे

स्पंदन को उड़ा दूँ..!


एक कसक खिंचती है मुझे तुम्हारे मोह की 

मेरी उँगलियाँ मचल उठती है छूने तुम्हारी

खुशबू, उस हरे बिंदु से इश्क हो जाता है

मुझे फिर से एक बार..!

 

मुझे आना पड़ता है, कैसे उदास देख सकती हूँ

उन आँखों को जिसमें मेरी तस्वीर बसती थी कभी।।



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