कास का फूल
कास का फूल
कास का फूल और कविता
कास का फूल खिल रहा है।
हवा के झोंकों से हिल रहा है।
शरद ऋतु के आगमन का,
फिर से संदेशा मिल रहा है।
खिलते हुए फूलों को देख
मन में जिज्ञासा उठती है
कास के फूलों जैसी ही
क्या कविता भी होती है ?
कास के फूल खिलते हैं
खिल कर झड़ जाते हैं
ऐसी ही कितनी कविता
यादों के झरोखों से
निकल कर आती है।
कुछ समय साथ रह कर
अतीत के पन्नों में
चली जाती है।
अगले वर्ष फिर से
यादों के झरोखों से
कुछ कविता निकलेगी
कास के फूलों के संग खिलेगी।