कुम्हार का मटका
कुम्हार का मटका
कुम्हार ने देखो ज़रा
कैसा मटका बनाया है
कितनी उम्मीद से उसने
मटके को सुंदर सजाया है
हाथों को घायल करके
इतना मज़बूत मटका बनाया है
सपनो को इसमे रख उसने
सपनो का मटका सजाया है
मिट्टी को रूप देकर
इस काबिल उसे बनाया है
भार उठा सके जीवन का
इतना बडा मटका बनाया है
धरती का अंश लेकर
ताप से उसे चमकाया है
कितनी मेहनत करके कुम्हार ने
मटके को अाकार में लाया है।