आजकल स्वस्थ हूँ
आजकल स्वस्थ हूँ
तुमने ठीक उस समय छोड़ा
जिस समय मुझे तुम्हारी
सबसे ज्यादा जरुरत थी।
चलो, अच्छा हुआ
तुमसे सीखा कि बिना किसी के भी
जिया जा सकता है, हाँ तकलीफ तो होती है शुरु में,
संभाल लिया मैंने स्वयं को और सीखी दुनियादारी
यहाँ किसी का कोई नहीं
मैं भी मुक्त हुआ तुम्हारी जिम्मेदारी से
या यूं कहें कि तुमने मुक्त कर दिया
तुम्हारा धोखा एक सबक बन गया
कि बुरे वक्त में कोई किसी का नहीं होता
सब अच्छे के साथी हैं
तकलीफ में कोई किसी का नहीं।
पीड़ा बांटी भी नहीं जा सकती, सुख बांटे जाते हैं।
सुख तो मैंने बांट दिये थे पहले ही तुम्हें
दुआ की जा सकती है किसी के लिए भी
दवा अपनी स्वंय को ही खानी पड़ती है
जो तुम न धोखा देते और न छोड़ जाते इस तरह
तो सिखता कैसे जमाने का चलन
बना रहता निरा बुद्धू ही
पहले-पहल मुझे गुस्सा आया तुम पर
फिर सोचा तुम तो अध्यापक बन गये मेरे लिए।
दूसरे पर किये भरोसे होते ही हैं टूटने के लिए
बुरा घट गया, अच्छा बंट गया
वैसे भी बुरे वक्त में ही पहचान
होती है अपने-पराये की
सब पराये निकले
बस पूरा वक्त ही निकला
अपना गुरु, अपना दोस्त, सच्चा हमदर्द
शेष तो सब झमेला है, मेला है।
तुम्हें खोकर जो दर्द था
वो अब दवा का काम होता है
आजकल मैं स्वस्थ हूँ।