ना जाने क्यूँ
ना जाने क्यूँ
आज दिल में धुआॅं सा उठा है,
उसने कुछ इस कदर आग लगाई है,
उसके लिए हमेशा अच्छा ही चाहा है,
पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,
हर पल उसे खुशी देना ही चाहा है,
पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,
हर पल उसको साथ देना ही चाहा है,
पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,
हर पल उसको हँसाना ही चाहा है,
पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा ही लगता है,
हर पल उसको अपना ही माना है,
पर ना जाने क्यूँ उसे बुरा लगता है।