आश्चर्य के बुरे दिन
आश्चर्य के बुरे दिन
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रौशनी थी
कि रौशनी के बुरे दिन थे
रौशनी के दिन
रौशनी के इतने बुरे दिन थे
कि रौशनी देख पाना तक
मुश्किल ही नहीं , नामुमकिन था
फिर , मैं उन आँखों में उतरा
किसी आश्चर्य की तरह
वहाँ इतना घना अँधेरा था
कि आश्चर्य था
आश्चर्य के बुरे दिन थे
और आश्चर्य था