Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vivek Tariyal

Others

3  

Vivek Tariyal

Others

असमंजस

असमंजस

2 mins
6.9K


मैं कौन हूँ? मैं क्या हूँ ?
क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ ?
यही कुछ सवाल मानस पटल पर बार-बार आते हैं,
काले-काले बादल से घनघोर घनन-घन छाते हैं ।
कि क्या वास्तव में निभा रहा हूँ अपने सभी कर्तव्य,
या यह है मेरे मन का वहम, न ही दिल का वक्तव्य ।
कर्तव्यपरायण होना चाहिऐ , क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ?

माता पिता के प्रति हर कर्तव्य मेरा है,
पर नियतिवश इस पुत्र को भी महा स्वार्थ ने घेरा है ।
प्रियतम से ह्रदय के छंद जुड़े, उसे भाग्य ने मोड़ा है,
पर हाय ! रे उसकी नियति, ममतावश प्रियतम को छोड़ा है ।
निष्ठावान होना चाहिऐ, क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ?

दोस्ती की ख़ातिर , किसी भी हद तक जाया जाता है,
और मित्र के रूप में दूसरा भाई पाया जाता है ।
पर तब क्या, जब दोनों में जीविका का बँटवारा हो,
दोनों को अपना कुटुंब स्नेही और जान से प्यारा हो ।
जिम्मेदार होना चाहिऐ , क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ?

बहन और भाई का रिश्ता होता है अटूट
पर तब क्या, जब इस पवित्र रिश्ते में पड़ जाऐ फूट ।
भाई को बहन के प्रियतम का पता चल जाता है
गुस्से में तमतमाता भाई उसके प्रियतम को मिलने जाता है
किन्तु इस बीच, अपनी प्रियतमा का क्षण भर ख़याल न आता है
समझदार होना चाहिऐ , क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ?

मन बार-बार चिल्लाता है, और प्रश्न यह करता है,
ज़िन्दगी जी ख़ुशी से, इस असमंजस में क्यूँ पड़ता है?
निर्णय करने की क्षमता तो ऊपरवाले के हाथ है,
ऐसी असमंजस इस धरती पर हर मनुष्य के साथ है ।
आतुर मन पुनः प्रश्न यह करता है
मनुष्य होना चाहिऐ , क्या मैं हूँ? क्या मैं नहीं हूँ?

 


Rate this content
Log in