एक चमकता चांद और दो हम
एक चमकता चांद और दो हम
एक चमकता चाँद, दो हम और तीन हरे पत्ते,
थोड़ा सा करीब आये फिर दोनों आँख बंद करे !!
अलफ़ाज़ों के पार जाये एक ऐसी गर्दिश में हम,
हस्ती भूल के दोनों फिर रूह से एक महसूस करें !!
इस पल गूँजती खIमोशी की लय में ऐसे डूब जाये,
की महोब्बत ही मोहब्बत जर्रे जर्रे में हम भरें !!
जश्न-ए-जहाँ में शामिल कर दे अस्तित्व को आज,
आओ थके पाँव में भी एक हम अजीब नृत्य भरें !!
चलो एक हो कर गुजर जाएं इस तूफानी दरिया से,
अंतर के साथ सारे अस्तित्व को आज अमन से भरें !!
लगता है की "परम" खुद उतरेगा आसमान से,
लेकिन पहले खुद को एक-दूजे के लिए "पागल" करें !!