जीवन के रंग - Colours of life
जीवन के रंग - Colours of life
Colours of life
ज़िन्दगी तनहा भी है और खुश-मिज़ाज भी,
ये इक दुआ भी है, दुआओं की मोहताज भी,
कहीं खामोश सी, कहीं गहरी सी आवाज़ भी,
कभी खुली किताब, कभी बन जाती राज़ भी,
कुछ लम्हें कबूल इसके, कुछ पर एतराज़ भी,
गद्दार भी नज़र आती तो कभी हमराज़ भी,
जल्दी मान जाती पर होती रहती नाराज़ भी,
कहीं सज़ा देती तो कहीं कर लेती लिहाज़ भी,
ख़ुदा को शिकायत करती, अदा करे नमाज़ भी,
ख़ुद ही ज़ख्म देकर ख़ुद ही करती इलाज भी,
ये शोर-शराबा लगती तो कभी सुरीला साज़ भी,
कभी ज़मीन खींच लेती कभी देती परवाज़ भी,
कभी फ़कीरी दिखाती तो कभी शाही-अंदाज़ भी,
हो जाती शर्मिन्दा भी और करती है नाज़ भी,
कहीं चढ़ता सूरज़ है तो कहीं डूबता जहाज भी,
अशीश ये कल भी तेरे साथ थी, साथ है आज भी।