ऐश ट्रे में शब्द
ऐश ट्रे में शब्द
मैंने कहना चाहा
बहुत कुछ तुम्हें
व्यक्त करने की
कोशिश भी की कई बार
लेकिन तुम्हें कभी
फुर्सत ही नहीं मिली
खुद के ही जाल में
उलझ कर रह गयी मैं
हमेशा
अधर लरजते,
थोड़ी हिम्मत करते
फ़िर ठिठक जाते
कहने की कोशिश में
महीन फुसफुसाहट
तुम्हारे सिगरेट के कश में
अटक गई कहीं
धुएँ के गोल- गोल छल्लों में
उड़ती रही
ताउम्र
तवज्जो न मिलने पर
एक दिन पथरा गई
मेरी आवाज़
चुप हो गई
हमेशा के लिये
अब भी
भीतर से आवाज़
उठती है
और हर बार
घुट जाती है गले में ही
झड़ गये तमाम शब्द मेरे
तुम्हारी
ऐश ट्रे में
राख़ बन कर ।