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Sadhana Mishra samishra

Drama

3  

Sadhana Mishra samishra

Drama

मदनोत्सव

मदनोत्सव

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अमवा के डार तो, बौराय गई री सखि

हियवा में मारे कटार !

खेतवन में, सरसों के फूल हैं बिछे सखी

पीत की आई बहार !


तन-मन में वास कियो, कैसो अनंग सखी

कोयल की सुन मीठी तान !

भौरों की गुंजन से, गूँजत है उपवन सखि

सुमनों से बहे रस-धार !


तोते के रथ पर, सवार है मनसिजा सखि

लिए हाथन में धनुष औ बाण !

फूलों का बना है, मदन का धनुष सखि

ताने शहदन की मीठी रास !


लहर लहर लहराये, लाली लाली ध्वजा सखि

बीचन में मकर सजाय !

धनुषन की कमान में, गन्ने की मिठास सखि

लोभी मधुमक्खी रस पी जाय !


कंदर्प ताने अशोक के, श्वेत-श्वेत फूल सखि

हिया दियो पवन महकाय !

पियर-पियर वसन की, झाँकी है सजी सखि

श्वेत, नील कमल खिल जाय !


दप-दप दमकत हैं, चमेली के फूल सखि

आमन के बाग बौराय !

मनमथ ने तान लिओ, मारण के बाण सखि

पलाशन का रंग चटकाय !


रागवृंत ने मार दिओ, उन्मादन के बान सखि

ऋतुराज भी जाय बौराय !

लाल-लाल टेसुवन ने, कानन दहकाय सखि

रति ने दिओ भौंह मटकाय !


मन में मदन ने, लगाय दिओ अगन सखि

पिय ने तो दिओ बिसराय !

खग, मृग, वृंद भी, उन्मादन में बिंधे सखि

पुष्पधंव से कौन बच पाय !


फूलन के बाणन से, आहत है यौवन सखि

कौन प्रेम रस सुधा बरसाय !

आनन में, कजरन में, हिय में हुलास सखि

रतिकांत से कोई न बच पाय !


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