मैं अक्सर सोचता हूँ कि...
मैं अक्सर सोचता हूँ कि...
मैं अक्सर सोचता हूँ कि...
आसानी से क्यों नहीं मिलती,
चाहत जिंदगी में...
शायद इसलिये कि वो बहुमूल्य हैं!
जब याद उसकी आती है तो...
अकेले में रोता हूँ अक्सर!
दिन रात सपने उसके,
उसे मिले भी तो कैसे?
कौन किसका रक़ीब होता हैं...
कौन किसका हबीब होता हैं!
बदल जाते हैं नाते-रिश्ते,
जहाँ जिसका नसीब होता हैं!
माना की तुम मेरी ना हो सकी...
अब बस तू इतना कर!
साथ तो दे ना सकी,
थोड़ा सा दे दे तू ज़हर!