आप जो माने हुज़ूर
आप जो माने हुज़ूर
मैं आपको
अपनी आँखों पर
बिठाउँगा हुज़ूर
बाक़ी आपकी है मर्ज़ी
मेरे राजन!
आप मुझे
अपने क़द के
बराबर समझो
या समझो
अपने पाँवों की धूल
आप चाहे जो समझो
अपने को जो भी मानो
आपकी पहचान मुझसे है
और मैं आपके मान को
सम्मान देता हूँ भरपूर
आपको अपनी हथेली पर बिठाता हूँ
मगर सच मानिए
ज़रूरत हुई ग़र
आपको अपनी मुट्ठी में भी
रख सकता हूँ
कुछ ऐसी गोटियाँ
अपनी अंटी में मुझे
रखनी होती ही हैं हरदम
आप मेरी विनम्रता को
अपनी जीत समझें
कोई ग़म नहीं
मगर मेरी हार समझने की
भूल न करें मेरे सरकार!
आप ऊँची कुर्सी पर
विराजमान हैं
आपके पाँव धरती पर
भला कब पड़ते हैं!
मगर कुर्सी का क्या है
मिलती और छिनती रहती है
मगर आपके लिए
जो इज़्ज़त
मेरी नज़रों में है
वह मेरे चाहे तक
कहीं नहीं जाती है
आप मुझे जो माने
मेरे आका
मैं तैयार रखता हूँ खाका
जिसमें आप हैं और मैं हूँ
जिसमें आपकी हेकड़ी
और हुक़ूमत
दोनों हैं
रिकॉर्ड में मेरे
मैं चुप रहता हूँ
यह हित में है आपके
मेरे साहब!
आप भी ज़रा ध्यान रखें
मुझे मुँह न खोलना पड़े कहीं।