रंगों की दुनिया (गजल)
रंगों की दुनिया (गजल)
गुलाल उड़ने से पहले, फ़िज़ा बदल जाती
कि दुश्मनी भी यहाँ दोस्ती में ढल जाती
खुमार हमपे यहाँ तब चढ़े मुहब्बत का
हमारे गाल पे वो रंग जब भी मल जाती
अजीब सी है ये दुनिया हज़ार रंगों की
हरेक रंग में दुनिया नयी निकल जाती
नये से रंग मिलें है तुम्हारी चाहत में
खुशी मिली तो उसे देख दुनिया जल जाती
उमंग में भरी मस्ती जो छाई होली में
बिना किसी के सँभाले "कमल", सँभल जाती।