बस खटमल संभल गए
बस खटमल संभल गए
पैसे लेके भागे माल्या,
और मोदी निज धाम,
नहीं दोष शासक का इसमें,
जनता का ही काम।
शासक का क्या काम की तेरी,
चुनी हुई सरकार,
देश लुटावे निज के हाथों,
तुम्हीं उठाओ भार।
तुम्हीं उठाओ भार की जो भी,
चले गए अंग्रेज,
हर्षद, मोदी तो छिपे हुए हैं,
शासक का हर तेज।
शासक का हर तेज कि सारे,
चोले बदल गए हैं,
खटमल बदले कभी नहीं बस,
सारे संभल गए हैं।