होली के रंग में
होली के रंग में
अरे, होली के रंग खुम रहे
देखो कितने भाँग के गोले।
निकल कर तेरी जिंदगी से
मैंने लिखी दर्द भरी ग़ज़ल।
हो गए सब, खामोश चेहरे
किसी को ना आई अक़्ल।
अरे, होली के रंग खुम रहे
देखो कितने भांग के गोले।
करते है ट्टू गुणगान तुम्हारे
मैंने तो दिखाई अपनी शान।
तुम्हे लगा तुम्हारा अपमान
क्योंकि पूरा तू जलील इंसान।
अरे, होली के रंग खुम रहे
देखो कितने भाँग के गोले।
तुम कितने बने हो नज़रबट्टू
होली के रंग में घूमे हो लट्टू।
समझ नहीं आई तुम्हे अभी
कैसे बने जा रहे हो तुम लट्टू।
अरे, होली के रंग खुम रहे
देखो कितने भाँग के गोले।।