कर सकूँ कुछ ऐसा
कर सकूँ कुछ ऐसा
मौन रहकर भी चहक लूँ,
कर सकूँ कुछ ऐसा, आज कर लूँ,
लोगों के दुखों को अपना बनाकर,
खुद के ऊपर थोड़ा गर्व मैं कर लूँ।
मुझे चाहिए न आकाश न ज़मीं,
किसी मासूम की उँगलियों में अपना जहाँ धर लूँ,
कर सकूँ कुछ ऐसा, आज कर लूँ,
मेरे ऊपर कोई हँसे, संग मैं भी थोड़ा हँस लूँ,
अपनी ही परछाईं में थोड़ी देर मैं रम जाऊँ,
कहीं सूखे खेत में बादल बन बरस जाऊँ,
ठंडी में आग बनूँ, कहीं कोई ताप ले मुझे,
गर्मी में ठंडी हवा के झोके, थाम लें मुझे,
कर सकूँ कुछ ऐसा आज, कर लूँ,
थोड़ा खुद पर भी बेइंतहा मर लूँ।
मैं बन एक फूल
किसी के प्यार की निशानी बन जाऊँ,
मैं बन एक मोती
किसी सीप की सुंदरता की कहानी बन जाऊँ,
मैं बन जाऊँ तट
लहरों के लिए किनारा बनूँ,
किसी की यादों में बसकर
उसके जीने का सहारा बनूँ,
इस सपनों की दुनिया को
आज हकीकत कर लूँ,
चाहत बस यही है,
चहुँओर मुझे रब दिखे,
अपने मन को इतना निर्मल कर लूँ।
कर सकूँ कुछ ऐसा आज कर लूँ,
कर सकूँ कुछ ऐसा आज कर लूँ...।।