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Neha Rawat

Drama Fantasy

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Neha Rawat

Drama Fantasy

ए दोस्त

ए दोस्त

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‌क्या कभी उस मुरझाए हुए पेड़ ने

अपने सबसे आख़िरी फूल से

यह कहा होगा कि

तुम भी बिछड़ जाओ,


क्या कभी उसने

अपनी सूखी डाल पर

बैठी कोयल से कहा होगा

अब बोझ लगता है

ज़रा उतर जाओ,


क्या हरियाली को देखकर

उसने उन पेड़ों से कहा होगा

वक्त नज़दीक है

तुम भी संभल जाओ,

‌‌

क्या उसने उस

गिलहरी से कहा होगा

तुम आज़ाद हो

अब चाहे जिधर जाओ


नहीं, मैंने उसे कहते सुना था

तन्हाई से गुज़रती रातों से,

वो रोशनी में घुले-मिले तारों से,

आकाश को उठाए

महताब जैसे सहारों से,


क्या तुम भी रह सकते हो

एक दूजे के बिना,

है चंदा, क्या चाँदनी तेरी

अंधेरों के बिना,


कौन पुकारता है तारों, तुम्हें

चंदा के बिना,

तुम जो बिछड़े तो मुमकिन है

कि बिख़र जाओ,

मुझे मेरे अपने लौटा दो

हो सके तो नई सहर लाओ


ऐ दोस्त,

क्या तुम भी कहोगे


कुछ मेरे कानो में

धीरे से आकर

जब हम बिछड़ जायेंगे


क्या तुम भी रातों से

चंदा और तारों से पूछोगी

हमारे बिख़रने का सबब,

क्या करोगी उनसे मिन्नतें बताओ,


या कानों में धीरे से कहोगे मेरे,

अब तुम आज़ाद हो चाहे जिधर जाओ।।


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