ज़मीन हिन्दू की
ज़मीन हिन्दू की
आज हर घर दिये जले
हिन्दू मुस्लिम एकता के
एक सुबूत रूपी फैसले के
खुश हुए दोनों
अयोध्या की धरती को पा
खुश हुए दोनों
कितनी छोटी खुशियां इनकी
कितनी छोटी अभिलाषाएं हैं
मांग रहे थे ज़मीन वो
सिर्फ नाम की इज़्ज़त की
और अपने भगवान की
बस नाम कर्म ओर है क्या
सम्मान इज़्ज़त प्यार के सिवा
पैसा ज़मीन तो सब यहीं
रह जानी है
दूजे के हिस्से सोनिया
दो भीगा ज़मीन
तो आनी है
मगर अपने हिस्से
मां गंगा का बहता पानी है
अंत ज़मीन नहीं
हिंदुत्व की राख
हिंदुत्व में मिल जानी है।