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Sankalp Singh

Children Inspirational

1.5  

Sankalp Singh

Children Inspirational

गौरव गाथा

गौरव गाथा

1 min
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वह नव जवान इस भारत का

जिसके सिर पर बस एक फितूर

वतन के खातिर मरना उसको, करना

दुश्मन के ना – पाक इरादे चकनाचूर ॥


ह्रिदय में जलती ज्वाला लेकर

लिए सिंह सा विजय दहाड़ ,

खड़ा रहा वह अडिग हिमालय सा

करने दुश्मन पर ठोस प्रहार॥


सागर के ऊँची लहरों से भी

ऊँचे थे उसके स्वाभिमान

मातृभूमि कि सेवा में

न्योछावर करदी उसने अपनी जान ॥


एक नव जवान जो जनमा था

भारत की पावन माटी में

पड़ा मिला वह करुण व्यथा में

कश्मीर की छोटी घाटी में ॥


बिलख रहे थे ये बादल

बिलख रही थी उसकी माँ

पर वह तो कहते अमर हुआ

आबाद रहे यूं भारत माँ ॥



कफन तिरंगे कि ओढ़े

प्रचलित करता भारत की शान

नमन है तुझको मेरा ओह!

भारत के सैनिक वीर जवान ॥


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