ये ढलती शाम
ये ढलती शाम
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ये ढलती शाम के रंग की
कुछ अलग ही बात है,
कभी जिंदगी के बीते दिनों की
याद दिला के जाती है,
कभी कोई गलती जो हो चुकी है
उसे अपने साथ ढाल के
मानो भुलाती जाती है।
कभी खिलते रंगो के साथ
किसी हसीन वक़्त की
खुशहाली याद दिलाती है,
कभी लहराती हुई ठंडी हवाओं के साथ
कोई मन को छू जाने वाली
खुशबू को खींच लाती है।
कभी किसी के साथ बितायी
उस हसीन शाम के वक़्त
की यादों में डूबा देती है,
और "संध्या" ये सुहानी शाम
सूरज से मिलते ही
खूबसूरत रंगों को ओढ़ के
मानो खुद को दुनिया में बिखेरती है।