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Sonias Diary

Abstract

5.0  

Sonias Diary

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पर्यावरण

पर्यावरण

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पर्यावरण वातावरण क़ुदरत कायनात 

ईश का दिया ये प्यारा स्वरूप 

ये धरती हमारा ग़ुरूर 

आओ हाथ थामे सब 

बचाले इसे। 


ये पेड़ ये बाग़ान

ये धरती हमारा संसार 

पैरों पर उड़ते परिंदे 

चीख़ चीख़ पुकार रहे 

इंसान तेरे घर पे 

घोंसला बना बना हम हार रहे। 


तेरी धरती मेरी धरती 

ना तोड़ तू घरोंदों को 

पानी को हवा को मेरे इस संसार को। 


जंगल में रहते जीव जंतु

आ भुजा पर अपनी बैठ रहे 

डर रहे मगर जी रहे 

जाने अनजाने हम 

जीव मृत्यु का शिकार हुए। 


चिड़िया ना चहक रही 

कौए ना बतिया रहे 

शेर घर घर सोनिया आ 

हम सबको हैं डरा रहे। 


थामों हाथ प्रभु का 

ऊपर से पुकार हुई 

पानी की बरसात हुई 

नीचे हम सब नाच चले

करने क़ुदरत का विनाश चले। 


थाम लो थाम लो 

अपने अनमोल हाथों से 

थाम लो 

देर हो गयी बहुत 

अभी भी लम्हे बाक़ी हैं 

थाम लो, इन्हें तुम थाम लो।।


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