गीत
गीत
एक नन्ही सी कली हूँ
बीच कांटों के पली हूँ
खेलती हूँ तितलियों सँग
नाचती हूँ फुनगियों सँग
बांहों में झूलूं हवा के ,
मैं पवन सी मनचली हूँ
एक नन्हीं सी कली हूँ
मैं सुकोमल देह सी हूँ
प्रिय प्रकृति के नेह सी हूँ
तन समर्पित मन समर्पित
प्रीत के रंग में ढली हूँ
एक नन्ही सी कली हूँ
ईश की महिमा अजब है
हर नियम उसका ग़जब है
हर गली हर मोड़ पर मैं ,
चील कौवों से छली हूँ
एक नन्हीं सी कली हूँ
खूब लड़ती आँधियों से
रोज़ डरती प्राणियों से
क्रूरता से नोच लेते,
सोचकर मैं अधखिली हूँ
एक नन्ही सी कली हूँ
हूँ बहुत मजबूर जग में
क्या करूँ अब क्रूर जग में
हार कर इस जिन्दगी से
छोड़ दुनिया को चली हूँ
एक नन्ही सी कली हूँ