दर्द
दर्द
दर्द लगे तो चुपचाप सह लेगा।
आँसू का एक कतरा न बहायेगा।
दिल की आरजू को वह बखूबी जानता है।
इनकार की वजह समझता है।
कहाँ हुस्न और बुद्धि का तालमेल बैठ पाया।
कैसा हिसाब उपरवाले ने बिठाया।
तन्हाई तो उसकी साथ दे रही है।
अंधेरे में वह समझा रही है।
दर्द उठाये दिल में, मोहब्बत पाक रखेगा।
मरते दम तक वादा निभायेगा।
ऐसे कितने आशिक मिले प्यार की राह पर।
इश्क नसीब हुआ, वह गिने चुने लोग निकले।