पहले प्यार का एहसास
पहले प्यार का एहसास
बचपन से जवानी की दहलीज़ पर
कदम रखते ही हम कुछ बदल से गये थे,
शक्ल सूरत भी थोड़ी बदली थी
पर ख्वाब बिल्कुल नये थे।
दोस्तों की बातें और संग बहुत भाता था,
पर किसी एक के आ जाने से
दिल धड़कना भूल जाता था।
हमें लगता था हमारा दिल उड़ रहा है
क्योंकि वो हमारे दिल में रहते हैं,
मेडिकल में आने पर पता चला कि
इसे टेकीकार्डिया कहते हैं।
मन में एक जुनून था
कि दुनिया से लड़ जाएँगे,
दिल कहता था गर ज़रूरत पड़ी तो
उनके लिए मर जाएँगे।
दिन भर वो ख्यालों में,
रात में सपने सुहाने थे,
हम उस वक़्त बस उन्हीं के दीवाने थे।
अपने करीबी दोस्तों को भी हम भूल जाते थे ,
जब उनकी एक झलक भर भी पाते थे।
हमें नहीं पता ये जुनून था
या प्यार का आगाज़ था,
उनका हमारे दिल के चारों
चेंबर्स पर राज था।
उनके ख़यालों में ही रहते थे,
जागते थे या सोते थे,
उनको याद करके कभी
हँसते थे कभी रोते थे।
हमें नहीं पता ये जज़्बात
क्या उधर भी होते थे,
उनकी वो जाने हम तो बस
उन्हीं का नाम लेकर सोते थे।
हमारे दिल में क्या था शायद
उनको इस बात का पता भी नहीं,
हमने कभी बताया ही नहीं,
उनकी इसमें कोई खता भी नहीं।
पंद्रहवें सोलहवें साल में
हम सब की यही कहानी है,
सच कहते हैं लोग "जवानी तो दीवानी है"।